Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय काली घटा

विषय _विरहा की बरसात 
शीर्षक_ काली घटा 
विधा_ गजल 
विरही बरसात में याद आते सजन।
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विरही बरसात में याद आते सजन।
दूर इस रात में, क्यों सताते सजन।

ख्याल हरहाल में भूलता मन न ये,
कौन सी बातमें,दिल दुखाते सजन।

आज काली घटाएं जलाती हैं दिल,
बात की बात में मन जलाते सनम।

ऐसे मौसम में परदेश रूककर तुम्हें,
क्या है जज्बात में, न बताते सनम।

टूट कर दिल बिखरता मेरा ऐसे में,
क्यों नहीं साथमें आ निभाते सनम।

आज बरसात बैरन, मेरी बन गई,
मुझको संजात में क्यों रुलाते सनम।

आंसू बरसात बनकर बरसते मेरे,
आपकी आंख में हम दिखाते सनम।

सरिता बहती है तेरी खुशी के लिए,
दिलकी सौगात में,मन मिलाते सनम।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर

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8 Comments

Irfan

09-Jul-2023 10:18 AM

उम्दा

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वानी

09-Jul-2023 10:08 AM

Nice

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Jannat

09-Jul-2023 09:50 AM

Bahut badhiya

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